Ram Navami

रामनवमी (Ram Navami) का त्योहार हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह त्योहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है, क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु के सातवें अवतार, मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम जी का जन्म हुआ था। इस त्योहार का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि इस दिन नवरात्री का नौवां दिन होता है और इस दिन माँ दुर्गा के नौवें स्वरुप माता सिद्धिदात्री की पूजा भी की जाती है। त्रेतायुग में रावण के अत्याचार से मुक्ति दिलाने और धर्म की पुनः स्थापना के लिए भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में अवतार लिया था। अगर आप जानना चाहते है कि Ram Navami Kyu Manaya Jata Hai, रामनवमी का क्या महत्व है, रामनवमी कैसे मनाई जाती है, रामनवमी की पूजा विधि क्या है, तो इस आर्टिकल को शुरू से अंत तक पढ़िए।

इस साल रामनवमी कब मनाया जायेगा (When will Ram Navami be Celebrated This Year)

रामनवमी (Ram Navami) का त्योहार चैत्र नवरात्री के नौवें दिन मनाया जाता है। इसके अनुसार इस साल रामनवमी 30 मार्च को 5 शुभ योग में मनाई जाएगी। इस रामनवमी को गुरु पुष्य योग, अमृत सिद्धि योग, रवि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और गुरु योग का संयोग है। इन पांचों योग के होने से इस रामनवमी पर भगवान श्रीराम की पूजा करने से शीघ्र फल मिलेगा और कार्य में भी सफलता मिलेगी।

रामनवमी क्यों मनाई जाती है? (Ram Navami Kyu Manaya Jata Hai)

त्रेता युग में लोग रावण के अत्याचार से परेशान थे। रावण महाज्ञानी था और भगवान शिव का भक्त भी था। उसे यह वरदान प्राप्त था कि उसकी मृत्यु किसी साधारण मनुष्य के हाथों नहीं होगी। लोगों को उसके अत्याचार से मुक्त कराने के लिए, भगवान विष्णु ने स्वयं राम के रूप में धरती पर अवतार लिया। भगवान राम का जन्म चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी को हुआ था। इसलिए इस दिन पूरे भारत में रामनवमी (Ram Navami) का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। उनका पूरा जीवन लोगों के लिए एक उदहारण है, इसलिए उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम भी कहा जाता है। अपने पिता के एक आदेश पर उन्होंने अपना राजपाट छोड़ दिया और चौदह वर्ष के लिए वनवास को स्वीकार किया। यह उनके एक आदर्श पुत्र होने का प्रमाण है।    

राम नवमी कैसे मनाई जाती है? (How is Ram Navami Celebrated?)

रामनवमी (Ram Navami) चैत्र नवरात्री के नवमी को मनाई जाती है। इस दिन रामायण, रामचरित्रमानस जैसे धार्मिक ग्रंथों का पाठ, हवन -पूजन और भगवान राम का भजन किया जाता है। कई जगहों पर भगवान राम के बालावस्था की पूजा की जाती है। इस दिन भगवान राम के मंदिरो में भीड़ रहती है। कुछ लोग इस नवरात्री में नौ दिनों का उपवास रखते है और नवरात्री के अंतिम दिन रामनवमी को उपवास खोलते है। भारत विविधताओं का देश है और यहां हर त्योहार में कुछ न कुछ विभिन्नता देखने को मिलती है। रामनवमी के त्योहार को मनाने का तरीका भी अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग है। दक्षिण भारत में इस त्योहार को भगवान राम और सीता के विवाहोत्सव के रूप में मनाया जाता है, जबकि उत्तर भारत में इस दिन भगवान राम और सीता की रथ यात्रा का आयोजन किया जाता है।

इस दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु अयोध्या की सरयू नदी और बनारस की गंगा नदी में डुबकी लगाते हैं। यह त्योहार सभी भारतीयों के लिए खास है, लेकिन सभी के मनाने का तरीका अलग होता है। कई जगहों पर इस दिन भव्य पंडाल और मूर्तियों की स्थापना की जाती है। इस दिन लोग अपने घरों में खीर और हलवा बनाते है और रामनवमी की पूजा में इन चीजों का भोग लगाया जाता है। कई जगहों पर अखंड रामायण का पाठ भी होता है।

रामनवमी के त्यौहार का क्या महत्व है? (What is the Significance of the Festival of Ram Navami?)

भारत को त्योहारों का देश कहा जाता है, क्योंकि यहां विभिन्न धर्म, सभ्यता और संस्कृति के लोग रहते है और सभी धर्मो के लोग अपने त्योहार को भाईचारे के साथ मिलजुल कर मनाते हैं। यहां हर दिन, हर महीने कोई न कोई त्योहार आता है। अगर सिर्फ हिन्दू धर्म की बात की जाए तो हर साल कई त्योहार मनाए जाते है और हर त्योहार का कोई न कोई खास महत्व होता है।इसी तरह रामनवमी के त्योहार का भी एक अपना महत्व है। रामनवमी (Ram Navami) का यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस दिन भगवान विष्णु ने असुरों के अत्याचार को समाप्त करने के लिए स्वयं धरती पर अवतार लिया था।भगवान राम ने रावण का वध किया और उसके अत्याचार का अंत किया।

रामनवमी के दिन भगवान राम की पूजा करने से सभी तरह के दुःख तकलीफ खत्म हो जाते है और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। हिन्दू धर्म में रामायण कथा का बड़ा महत्व है और रामायण के इस ग्रन्थ को पवित्र ग्रंथों में से एक माना जाता है। कहा जाता है कि रामायण का पाठ करने से घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली बनी रहती है। जिस घर में प्रतिदिन रामायण को पढ़ा या सुना जाता है, वहां भगवान राम की कृपा बनी रहती है।

रामनवमी की पूजा विधि क्या है? (What is the Worship Method of Ram Navami?)

रामनवमी (Ram Navami) का त्योहार हिन्दू धर्म के खास पर्वों में से एक है और नवरात्री की नवमी को यह त्योहार बड़े उत्साह और भक्तिभाव के साथ मनाया जाता है। तो आइए जानते है इसकी पूजा विधि क्या है?

  • सूर्योदय से पूर्व स्नान कर सबसे पहले सूर्यदेव को जल अर्पित करें। 
  • पूजा स्थल पर गंगाजल को छिड़कें।
  • भगवान श्रीराम की तस्वीर या प्रतिमा स्थापित करें।
  • उसके बाद श्री राम की आराधना करें और अक्षत, रोली, चन्दन, धुप, तुलसी के पत्ते अर्पित करें।
  • उसके बाद भगवान श्रीराम की प्रतिमा को फूल, फल और मिठाई अर्पित करें।
  • इसके बाद रामायण, रामचरितमानस का पाठ करें।
  • अंत में भगवान राम की आरती करें और उनसे जीवन में सुख-समृद्धि और शांति बनाए रखने की कामना करें।

भगवान राम की जन्म कथा (Story of Lord Rama)

रामायण के अनुसार आयोध्या के राजा दशरथ थे। उनकी तीन पत्नियाँ थी, लेकिन उनका कोई पुत्र नहीं था। ऋषि वशिष्ठ ने उन्हें पुत्र प्राप्ति के लिए पुत्रकामेष्टि यज्ञ करने की सलाह दी। महर्षि ऋष्यश्रृंग ने राजा दशरथ के लिए यज्ञ किया। इस यज्ञ के पश्चात राजा दशरथ की पहली रानी कौशल्या ने राम को, कैकेयी ने भरत को और सुमित्रा ने लक्ष्मण और शत्रुधन को जन्म दिया। ऋषि वशिष्ठ भगवान राम के गुरु थे। उन्होंने भगवान राम को वेदों के ज्ञान के साथ-साथ शस्त्र विद्या भी प्रदान की थी। इसके अलावा ऋषि विश्वामित्र ने भी भगवान राम को शस्त्र विद्या प्रदान की थी। भगवान राम ने ऋषि विश्वामित्र के ही मार्गदर्शन में ताड़का, सुबाहु और मारीच का वध किया। उनके ही मार्गदशन में अहिल्या उद्धार और सीता के स्वयंवर में भाग लिया। 

भगवान राम ने चौदह वर्ष के लिए वनवास क्यों स्वीकार किया? (Why did Lord Rama Accept Exile for Fourteen Years?)

राजा दशरथ की तीन रानियां थी, कौशल्या, सुमित्रा और कैकेयी। राम की माँ कौशल्या थी, भरत की माँ कैकेयी थी और लक्ष्मण और शत्रुधन की माँ उर्मिला थी। राजा दशरथ अपने ज्येष्ठ पुत्र राम को अपना उत्तराधिकारी बनाना चाहते थे, लेकिन कैकेयी चाहती थीं कि उनका पुत्र भरत अयोध्या के सिंहासन पर बैठे।

एक बार कैकेयी ने युद्ध में राजा दशरथ की जान बचाई थी, तब राजा दशरथ ने प्रसन्न होकर कैकेयी से दो वचन मांगने को कहा। कैकेयी ने कहा कि वह समय आने पर वचन मांगेंगी। समय आने पर कैकेयी ने दो वचन मांगे, पहला राम का वनवास और दूसरा भरत का राज्याभिषेक। इस तरह भगवान श्री राम को चौदह वर्ष का वनवास मिला।

लक्ष्मण ने भी अपने भाई के साथ वनवास जाना स्वीकार किया। इस तरह भगवान राम के साथ माता सीता और लक्ष्मण भी वनवास के लिए चल पड़े। भरत ने भी अपना भातृप्रेम को सर्वोपरि पर रखा और राम की खड़ायुं को राज्य की गद्दी पर रखकर अयोध्या के राज्य को एक अमानत के रूप में स्वीकार किया।  

भगवान राम का वनवास काल कैसा रहा? (How was the Exile Period of Lord Rama?)

भगवान राम ने  वनवास के दौरान कई असुरों का संहार किया। कैकेयी के वचन तो मात्र एक आधार था, उनका असली मकसद असुरों का संहार करना था। अपने वनवास के दौरान, भगवान राम को हनुमान जैसा सेवक और सुग्रीव जैसा मित्र मिला। रावण ने सीता का अपहरण किया और भगवान राम ने रावण का वध किया। कहा जाता है कि सीता के जन्म का उदेश्य रावण का अंत करना ही था।

भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम क्यों कहा जाता है? (Why is Lord Rama Called Maryada Purushottam?)

भगवान राम ने अपने पिता दशरथ की एक  आज्ञा और अपनी सौतेली माता की इच्छा को पूरा करने के लिए अपना राजपाट छोड़ दिया और चौदह वर्ष के लिए वनवास पर चले गए। इसलिए उन्हें आदर्श पुत्र कहा जाता है। वह एक आदर्श पुत्र के साथ एक आदर्श पति, भाई, दोस्त और राजा भी थे इसलिए उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम राम भी कहा जाता है।

भगवान राम का संपूर्ण जीवन हम सभी के लिए एक उदहारण है। वह एक आदर्श पुत्र होने के साथ ही एक आदर्श भाई, दोस्त, पति और राजा भी थे। अपने पिता राजा दरशरथ की एक आज्ञा और माता की इच्छा को पूरा करने के लिए उन्होंने अपना राजपाट छोड़कर चौदह वर्षों के लिए वनवास स्वीकार कर लिया।  

उनके दिल में अपने भाईयों के लिए अपार प्रेम था, जो माता कैकेयी के भेदभाव के बाद भी कम नहीं हुआ। इसके अलावा उनके भाईयो के दिल में भी अपने भाई राम के लिए अपार प्रेम था। लक्ष्मण ने भी अपने भाई राम का साथ दिया और वह भी श्रीराम के साथ वनवास चले गए।

भरत को अयोध्या के सिंहासन पर बैठने की बिल्कुल इच्छा नहीं थी, अपने बड़े भाई राम के कहने पर उन्होंने अयोध्या के राज्य को एक अमानत के रूप में संभाला। माता कैकेयी के भेदभाव वाले इरादे को जानते हुए भी भगवान राम के दिल में माता कैकेयी के प्रति सम्मान और प्यार कम नहीं हुआ।

रामायण के सभी पात्रों का अर्थ क्या है? (What is the Meaning of all the characters of Ramayana?)

क्या आप जानते हैं कि रामायण के सभी पात्रों का कोई न कोई अर्थ होता है। आइए जानते हैं कि रामायण के सभी पात्रों  का क्या अर्थ हैं?

राम का अर्थ है “स्वयं का प्रकाश” मतलब खुद के अंदर का प्रकाश। इस प्रकार हमारी आत्मा का प्रकाश ही राम है।

लक्ष्मण का अर्थ  है “सजगता”, भरत का अर्थ  है “योग्य” और शत्रुधन का अर्थ है “जिसका कोई शत्रु या विरोधी ना हो”।

कौशल्या का अर्थ  है “कुशलता”, जबकि दशरथ का अर्थ  है “जिसके पास दस रथ हो”, यहां दस रथ हमारे शरीर की दस इन्द्रियों को संदर्भित करते हैं, जिनमें से पांच ज्ञान इन्द्रियां हैं और पाँच कर्म इन्द्रियां है।

सुमित्रा का मतलब होता है “जो सभी लोगो के साथ मित्रता का भाव रखती है”।

कैकेयी का अर्थ है ” बिना किसी स्वार्थ के कुछ करने वाली”।

भगवान राम की जन्मभूमि आयोध्या है, जिसका अर्थ है “वैसा स्थान जिसे नष्ट नहीं किया जा सकता”।

निष्कर्ष (Conclusion)

भगवान राम ने हर रिश्तें को बखूबी निभाया। उन्होंने एक आदर्श पुत्र होने के साथ-साथ एक अच्छे पति की भूमिका भी निभाई। इसके अलावा वह एक आदर्श भाई, मित्र और राजा भी थे। उनके जीवन से हमें यह सिख मिलती है कि हर रिश्ते को कैसे निभाना है, कैसे हम आपस में भाईचारा स्थापित कर सकते है और लोक कल्याण के लिए बड़ी से बड़ी चुनौतियों का सामना कैसे कर सकते हैं। उम्मीद करते है कि रामनवमी (Ram Navami) के बारे में यह आर्टिकल आपको पसंद आई होगी। इस आर्टिकल से सम्बंधित आपका कोई सवाल हो तो कृपया कमेंट करके जरूर बताएं, इस आर्टिकल को अंत तक पढ़ने के लिए धन्यवाद।

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