Mahagauri Mata

आज नवरात्री का आठवाँ दिन है, चलिए जानते है नवरात्री के आठवें दिन माँ के किस स्वरुप की पूजा की जाती है। नवरात्रि का आठवाँ दिन देवी महागौरी को समर्पित है। नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी (Mahagauri Mata) की पूजा की जाती है। ‘महागौरी’ नाम का अर्थ है अत्यंत उज्ज्वल। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब माता शैलपुत्री 16 वर्ष की थीं, तब देवी शैलपुत्री का रंग गोरा था और माँ बहुत ही ज्यादा सुन्दर थीं। उनके इसी रंग रूप के कारण, उन्हें देवी महागौरी के नाम से जाना जाने लगा। देवी महागौरी भी, माँ शैलपुत्री की ही तरह, बैल की सवारी करती हैं, इसी कारण, माता महागौरी को वृषारूढ़ा भी कहा  जाता है.

मां महागौरी बैल की सवारी करती हैं, देवी महागौरी के चार हाथ हैं, जिनमें से माँ के बाईं ओर एक हाथ में है डमरू और दूसरा हाथ वरद मुद्रा में है और दाहिनें तरफ एक हाथ में त्रिशूल है और दूसरा हाथ अभय मुद्रा में है.

माता महागौरी (Mahagauri Mata) के गौर वर्ण के कारण, अक्सर देवी महागौरी की तुलना शंख, चंद्रमा और कुंद के सफेद फूल से की जाती है। माँ को श्वेतांबरधरा के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि वह हमेशा सफेद वस्त्र ही पहनती है। माता महागौरी पवित्रता और शांति का प्रतीक हैं।

माता  महागौरीं (Mahagauri Mata) का सबसे प्रिय रंग है सफ़ेद। माता के सभी वस्त्र तो सफ़ेद हैं ही साथ ही माँ के सारे आभूषण भी सफ़ेद हैं। दोस्तों हालाँकि माता महागौरी की पूजा के समय गुलाबी रंग पहनना उत्तम माना गया है क्योंकि माता महागौरी प्रेम की देवी हैं और गुलाबी रंग को प्रेम का प्रतीक माना जाता है.

महागौरी माता की कथा (Mahagauri Mata ki Katha)

एक बार मां दुर्गा ने धरती पर जन्म लिया और भगवान शिव से विवाह करके अपने दिव्य निवास को वापस पाने की कामना की। इसी कारणवश, ऋषि नारद के कहने पर, माता दुर्गा ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या की। तपस्या में लीन होने की वजह से माँ का शरीर धूल और मिट्टी से पूरी तरह से ढक गया था। उस समय माता खाना-पीना सब भूल गई थी। सूरज की चिलचिलाती धूप ने उनके शरीर को पूरी तरह से काला कर दिया था परन्तु माता किसी भी चीज़ की परवाह ना करते हुए इसी तरह हजारों सालों तक तपस्या करती रही।

भगवान शिव उनकी इस भक्ति को देख कर बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने माता के शरीर पर गंगा जल की वर्षा की जिसकी वजह से माँ दुर्गा का रूप सफेद हो गया। माता दुर्गा का ये महागौरी का स्वरुप बहुत ही प्यारा और मनभावन है।

नवरात्री के आठवें दिन का क्या महत्व है? (What is the Significance of the Eighth Day of Navratri?)

कहा जाता है कि इस दिन देवी शक्ति ने राक्षस महिषासुर का वध किया था। यह दिन महिषासुर पर देवी शक्ति की विजय का प्रतीक है। इस दिन भक्त मां दुर्गा के आठवें अवतार माता महागौरी को पूजते हैं।

देवी महागौरी अपने भक्तों को धन और सफलता प्रदान करने के लिए प्रसिद्ध हैं। दोस्तों कहते हैं कि इस दिन महागौरी की पूजा करने से भक्तों को सभी बाधाओं और सभी पापों को दूर करने  में मदद मिलती है। कुछ लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं. इस दिन देवी महागौरी का व्रत  रखने से धन और सौभाग्य की प्राप्ति होती है.

माता महागौरी की पूजा कैसे की जाती है? (How is Mata Mahagauri Worshipped?)

पूजा अनुष्ठानों का पालन करके देवी महागौरी की पूजा करने के साथ-साथ मंत्रों का भी जाप करते हैं।

  1. माता महागौरी की पूजा के लिए सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें।
  2. माता दुर्गा के सभी स्वरूपों की पूजा करें और इसके बाद माता महागौरी की स्तुति करें।
  3. माता महागौरी की पूजा के समय गुलाबी रंग पहनना चाहिए।
  4. इनकी पूजा में गुलाबी फूल का खास महत्व है क्यूँकि माता महागौरी को गुलाबी रंग बहुत प्रिय है।
  5. माता को फल, पंच मेवा और मिष्ठान का भोग लगाएं।
  6. आठवें नवरात्रे वाले दिन कन्या पूजन का भी विशेष महत्व होता है, आप कन्या पूजन भी कर सकते हैं।
  7. अंत में घी का दीपक जलाएं और माता महागौरी की आरती करे और उनके मंत्र का जाप करें।

मां महागौरी मंत्र (Mahagauri Mata Mantra)

ॐ देवी महागौर्यै नमः ॥

Om Devi Mahagauryai Namah ॥

माता महागौरी की पूजा से कौन सा चक्र जागृत होता है? (Which Chakra gets Activated by Worshiping Mata Mahagauri?)

नवरात्री का आठवां दिन माता महागौरी को समर्पित है और इस दिन माता महागौरी की पूजा करने से हमारे शरीर में सोम चक्र जागृत होता है। सोम चक्र को नाड़ी चक्र भी कहा जाता है। इस चक्र के जागरण से हमारी आत्मा शुद्ध होती है। हमें आलस्य से मुक्ति मिलती है और हमारा मन अपने काम पर केंद्रित रहता है। माता महागौरी की आराधना करने से मानसिक शांति मिलती है और सांसारिक दुखो से मुक्ति मिलती है।

सोम चक्र को चंद्र चक्र या इडा नाड़ी चक्र भी कहा जाता है। यह नाड़ी हमारी इच्छा शक्ति को नियंत्रित करती है। इच्छा शक्ति के नियन्त्रण से हमारी पिछली स्मृतियाँ जीवित रहती है और जीवन को जीने की इच्छा उत्पन्न होती है। इस नाड़ी चक्र में किसी प्रकार की रुकावट आने से व्यक्ति में आलस्य, कामुकता, अंधविश्वास, अपराध जैसे नकारात्मक गुण आ जाते हैं। सोम चक्र या नाड़ी चक्र को जागृत करने के लिए नवरात्री के आठवें दिन माता महागौरी की पूजा करें। ध्यानवस्था में बैठ कर माता महागौरी के मन्त्रों का जाप करें। इससे हमें अलौकिक शक्तियाँ प्राप्त होती है और हमारे असंभव कार्य भी पूर्ण हो जाते हैं।

निष्कर्ष (Conclusion)

इस आर्टिकल में आपने माँ दुर्गा के आठवें स्वरुप माता महागौरी (Mahagauri Mata) के बारे में जाना। आशा करते है कि आपको यह जानकारी अच्छी लगी होगी, इसी तरह की नई अपडेट के लिए NayisochOnline के अन्य आर्टिकल को भी पढ़ सकते है। इस आर्टिकल को अंत तक पढ़ने के लिए धन्यवाद। माता दुर्गा के नौ स्वरूपों में से अन्य स्वरूपों के बारे में जानने के लिए निचे दिए लिंक पर क्लिक करें।

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