International Mother Language Day

21 फरवरी को International Mother Language Day (अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस) के रूप में मनाया जाता है। 17 नवम्बर 1999 को यूनेस्को ने इस दिन को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रूप में मनाने का एलान किया था। इसे मनाने की शुरुआत बांग्लादेश के पहल पर हुआ था। सन 2000 से पूरा विश्व इस दिन को मातृभाषा दिवस के रूप में मनाने लगा। 16 मई 2007 को यूनाइटेड नेशन्स ने मातृभाषा को बढ़ावा देने और इसके प्रति लोगो को जागरूक करने का संकल्प लिया। आज इस आर्टिकल में जानेंगे की International Mother Language Day का अंतरराष्ट्रीय महत्व क्या है और इसके पीछे का इतिहास क्या है तो ये सब जानने के लिए इस आर्टिकल को अंत तक पढ़िए।

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का इतिहास (History)

दोस्तों क्या आपको पता है की 21 फरवरी को ही अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस क्यों मनाया जाता है। इसे मनाने के पीछे का इतिहास क्या है?

1947 में जब भारत से अलग होकर पाकिस्तान बना तो यह दो हिस्सों में विभक्त था। एक हिस्सा था पूर्वी पाकिस्तान और दूसरा हिस्सा था पश्चिमी पाकिस्तान। पूर्वी पाकिस्तान आज बांग्लादेश है और पश्चिमी पाकिस्तान आज पाकिस्तान के नाम से जाना जाता है। दोनों हिस्सा संस्कृति और भाषा के दृष्टिकोण से विल्कुल अलग था और भारत इन दोनों देशो के बिच में स्थित था।

 1948 में पाकिस्तान ने उर्दू को अपना राष्ट्रिय भाषा घोषित कर दिया, जवकि पूर्वी पाकिस्तान में ज्यादातर लोग बांग्ला भाषा बोलते थे। पूर्वी पाकिस्तान की मातृभाषा बांग्ला थी, इसलिए उनलोगो की मांग थी कि उर्दू के साथ ही बांग्ला को भी एक और राष्ट्रीय भाषा का दर्जा दिया जाए। 23 फरवरी 1948 को धीरेंद्रनाथ दत्त ने सबसे पहले इस मांग को उठाया था। 

पाकिस्तान की सरकार ने इस मांग को दबाने की पूरी कोशिश की। 21 फरवरी 1952 को इस मांग को लेकर जुटी रैलियों पर गोलियां चला दी गयी, जिसमे कई लोगों की मौत हो गयी और सैकड़ो लोग घायल हो गए। बांग्लादेश के भाषा आंदोलन को याद करते हुए यूनेस्को ने 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया।

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का विषय-वस्तु (Theme)

इस दिन को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाने के साथ ही हर साल इस दिन के उद्देश्य की पूर्ति के लिए एक Theme रखा जाता है और Theme के उद्देश्य को पूरा करने का प्रयास किया जाता है। हर साल की तरह इस साल भी इस दिन के लिए एक Theme रखा गया है और 2023 के लिए Theme है – ”Multilingual Education – A Necessity to Transform Education” इसका मतलब है  “बहुभाषी शिक्षा – शिक्षा को बदलने की आवश्यकता

इस विषय का उदेश्य गैर प्रमुख भाषा बोलने वालो के लिए उनके मातृभाषा पर आधारित बहुभाषी शिक्षा का विकास करना जिससे उनलोगो को भी अच्छी शिक्षा मिल सके।  

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का उद्देश्य (Purpose)

अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाने के पीछे का मकसद है विश्व के सभी भाषाओं और संस्कृति का सम्मान करना, दुनिया भर में सांस्कृतिक और भाषायी विविधता का प्रचार प्रसार करना और अपने मातृभाषा और संस्कृति के प्रति लोगो को जागरूक करना।

इस दिन का मुख्य उदेश्य भाषा और संस्कृति की विविधता में एकता को बढ़ावा देना। लोगो को अपनी मातृभाषा के प्रति जागरूकता पैदा करना और उसे लुप्त होने से बचाना है। इस दिन लोगो के बीच सामाजिक व्यव्हार और विकास को शांतिपूर्ण तरीके से बढ़ावा देने के लिए बहुभाषा के महत्व को बढ़ावा देना है। 

दुनिया में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा (Most Spoken Language In The World)

आज दुनिया में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा में हिंदी तीसरे स्थान पर है। World Language Database के 22वें संस्करण इथोनोलॉज के अनुसार दुनिया में 20 सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा में 6 भारतीय भाषाएँ शामिल है और उसमें से हिंदी तीसरे स्थान पर है। पुरे विश्व में 61.5 करोड़ लोग हिंदी भाषा बोलते है।’

सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में अंग्रेजी पहले स्थान पर है। दूसरे स्थान पर चीन में बोली जाने वाली भाषा मैंड्रेन है। चौथे नंबर पर स्पेनिस और पांचवे नंबर पर फ्रेंच है।

20 सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में 6 भारतीय भाषाएँ शामिल है। इसमें से हिंदी तीसरे नंबर पर है। हिंदी के बाद बांग्ला सातवें नंबर पर है, उर्दू 11वें नंबर पर, मराठी 15वें नंबर पर, तेलगु 16वें नंबर पर और तमिल 19वें नंबर पर है।

भारत में बोली जाने वाली भाषा (Language Spoken In India)

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार दुनिया भर में 6900 भाषाएं बोली जाती है जिसमे से 90 % भाषाएँ ऐसे है जिसे बोलने वाले लोगो की संख्या 1 लाख से भी कम है। 1961 की जनगणना के अनुसार भारत में बोली जाने वाली भाषाएँ की संख्या 1652 है, जबकि सविधान के द्वारा 22 भाषाओं को ही राजभाषा की मान्यता दी गई है।

पहले अनुच्छेद 344 के अंतरगर्त 15 भाषाओं को ही राजभाषा  की मान्यता प्रदान की गयी थी, लेकिन 21वें संविधान संशोधन के द्वारा सिन्धी को और 71वाँ संविधान संशोधन के द्वारा तीन नई भाषाओं नेपाली, मणिपुरी और कोंकणी को राजभाषा का दर्जा दिया गया। इसके बाद 92वाँ संविधान संशोधन के द्वारा चार नई भाषाओं बोडो, डोगरी, मैथिली और संथाली को भी राजभाषा के रूप में  शामिल किया गया। इस तरह से सविधान में 22 भाषाओं को राजभाषा का दर्जा दिया गया है। 

भारत में इन 22 भाषाओ को बोलने वालो की संख्या कुल आबादी का 90 प्रतिशत है। संविधान के आठवीं अनुसूची में  इन 22 भाषाओं का उल्लेख है। इन 22 भाषाओं के अतिरिक्त अंग्रेजी को भी सहायक राजभाषा के रूप में शामिल किया गया है।

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का महत्व (Significance)

मातृभाषा सिर्फ एक दूसरे से बात करने में इस्तेमाल नहीं किया जाता है, बल्कि किसी देश, राज्य या समूह की सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक पहचान होती है। हर एक भाषा की अपनी विशेषता होती है, जो उसे अन्य भाषाओं से अलग बनाती है। सभी भाषाओं का अपना अलग संस्कृति और इतिहास होता है।

किसी व्यक्ति के वास्तविक पहचान के लिए जरुरी कारको में भाषा एक महत्वपूर्ण कारक है। कोई भी व्यक्ति अपनी मातृभाषा में किसी चीज को अच्छे से सिख सकता है। मातृभाषा किसी देश की राष्ट्रिय सभ्यता और संस्कृति का प्रतीक होता है

मातृभाषा से मतलब होता है हमारी जन्मभूमि की भाषा। यह भाषा अपनी सभ्यता और संस्कृति के बारे में सिखने का जरिया होता है। यह हमें व्यक्तिगत व्यवहार से लेकर समाज के सभी पहलुओं को सिखाने में महत्वपूर्ण रोल अदा करती है।

मातृभाषा के बिना किसी देश की संस्कृति की कल्पना नहीं किया जा सकता है। यह हमे राष्ट्रीयता से जोड़ती है और देश प्रेम की भावना पैदा करती है। यह इंसान को सोचने समझने और शुरूआती शिक्षा प्रदान करने में मुख्य रोल अदा करती है, इसलिए बच्चो की प्राथमिक शिक्षा अपने मातृभाषा में ही होना चाहिए।

मोदी जी ने मन कि बात में क्या कहा (What did Modi ji say in Mann Ki Baat)

वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी पिछले साल ‘मन की बात’ में मातृभाषा के बारे में बहुत अच्छी बात कही थी। माँ और मातृभाषा दोनों जीवन को मजबूती प्रदान करता है। कोई भी इंसान अपनी माँ और मातृभाषा को छोड़ नहीं सकता है और ना ही इसके बिना कोई तरक्की कर सकता है।

मातृभाषा के बारे में गांधीजी का विचार (Gandhiji’s Thought about Mother Language)

मातृभाषा के बारे में गांधीजी का मानना था की प्रत्येक व्यक्ति को उनके मातृभाषा में शिक्षा देनी चाहिए। उनका कहना था की शिक्षा किसी भाषा में दिया जा सकता है, लेकिन ये हम सब का कर्तव्य है की शिक्षा प्रत्येक व्यक्ति को उसके मातृभाषा में उपलब्ध की जाये। हम सब अपने इस कर्तव्य को अच्छे से पूरा नहीं कर रहे है, इसलिए आज मातृभाषा के लुप्त होने का संकट खड़ा हो गया है और इसे लुप्त होने से बचाने के लिए यह दिन मनाने की जरुरत पड़ रही है।

अगर किसी व्यक्ति के शिक्षा में कुछ कमी है तो यह माना जाता है उसे अपनी मातृभाषा में शिक्षा नहीं दी गयी। उनका कहना था की मुझे अंग्रेजी पसंद नहीं है लेकिन मेरे मन में अंग्रेजी भाषा के प्रति सम्मान है। अगर मातृभाषा के प्रति लोगो को जागरूक करने के लिए दूसरे भाषा के साथ उचित न्याय किया जाये तो मातृभाषा को लुप्त होने से बचाया जा सकता है, फिर इसके लिए किसी भी दिवस को मनाने की जरुरत नहीं पड़ेगी।

भाषाओं का संरक्षण (Conservation of Languages)

दुनिया में हर 14 दिन में कोई ना कोई एक भाषा विलुप्त हो रही है। भारत की स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं है। यहाँ कुल 19500 भाषाएँ बोली जाती है जिसमे से 2900 भाषाएँ विलुप्त होने के कगार पर है। इसमें से सिर्फ 121 भाषाएँ ऐसे है जिसे 10000 से ज्यादा लोग बोलते है। इन 121 भाषाओं में 99 भाषाओं को भारत के 3.3 प्रतिशत लोग ही बोलते है। बाकी के 22 भाषाओं को 96.7 प्रतिशत लोग बोलते है। यही 22 भाषाओं को संविधान में राजभाषा का दर्जा दिया गया है और इसे संविधान के 8वीं अनुसूची में शामिल किया गया है।

इस प्रकार हम कह सकते है की हमे अपनी मातृभाषा का विस्तार पर ध्यान देना चाहिए नहीं तो हमारी मातृभाषा भी उन विलुप्त भाषा में शामिल हो जाएगा। मातृभाषा को बढ़ावा देने और लोगो को इसके प्रति जागरूक करने के लिए ही 21 फरवरी को हर साल अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाता है।

FAQ:

International Mother Language Day कब मनाया जाता है ?

21 फरवरी को, 2000 से हर साल 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाता है।

मातृभाषा दिवस की शुरुआत कैसे हुई?

यूनेस्को ने 17 नवंबर 1999 को हर साल मातृभाषा दिवस मनाने का ऐलान किया और सन 2000 से हर साल 21 फरवरी को मातृभाषा दिवस मनाया जाने लगा।

दुनिया में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा में तीसरा स्थान पर कौन सी भाषा है?
हिंदी भाषा तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है, पहले स्थान पर अंग्रेजी और दूसरे स्थान पर चीन में बोले जाने वाली भाषा मैंड्रेन है।

भारत में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा कौन है।

भारत में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा हिंदी है, उसके बाद बांग्ला, उर्दू, मराठी, तेलगु, तमिल क्रमशः दूसरे, तीसरे, चौथे, पाँचवें, और छठे स्थान पर है।

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 2023 का Theme क्या है?

”Multilingual Education – A Necessity to Transform Education”

“बहुभाषी शिक्षा – शिक्षा को बदलने की आवश्यकता”  

मातृभाषा को प्रथम भाषा क्यों कहा जाता है?

कोई भी बच्चा जिस भाषा को अपने परिवार में रहकर सीखता है वह उसका मातृभाषा कहलाता है। इसलिए इसे प्रथम भाषा भी कहा जाता है

21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस क्यों मनाया जाता है?

पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) में 21 फरवरी 1952 को लोगो ने मातृभाषा के लिए अपनी जान को कुर्वान कर दिया, इसलिए 21 फरवरी को उन लोगो के याद में  अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाता है।

21 फरवरी 1952 को क्या हुआ था?

पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) में उर्दू को राजभाषा का दर्जा देने पर बांग्ला को भी एक राजभाषा का दर्जा देने की मांग के लिए रैलियाँ निकाली जा रही थी। पाकिस्तान की सरकार ने उन पर गोलियाँ चलबा दी थी, जिससे कई लोगो की मौत हो गयी थी और सैकड़ो लोग घायल हो गए। इस दिन लोगो ने मातृभाषा के लिए अपनी जान की बाजी लगा दी थी, इसलिए इस दिन को याद कर 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाता है।

निष्कर्ष (Conclusion)

21 फरवरी को हर साल International Mother Language Day (अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस ) मनाया जाता है, यह 2000 से हर साल मनाया जा रहा है। किसी भी व्यक्ति के विकास में मातृभाषा का बड़ा योगदान होता है और हर व्यक्ति की शुरूआती शिक्षा मातृभाषा में ही होनी चाहिए। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य अपने भाषा और संस्कृति को प्रोत्साहित करना और इसे लुप्त होने से बचाना है।

इस आर्टिकल के माध्यम से हमने जाना कि  International Mother Language Day (अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस ) का अंतरराष्ट्रीय महत्व क्या है और इसके पीछे का इतिहास क्या है। आपको यह आर्टिकल कैसी लगी, कमेंट करके जरूर बताये। इसी तरह की नयी नयी जानकारियों के लिए NayiSochOnline ब्लॉग को विजिट करे। इस आर्टिकल को अंत तक पढ़ने के लिए धन्यबाद।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *