National Science Day

Table of Contents

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (National Science Day) हर साल 28 फरवरी को मनाया जाता है, क्यूँकि इसी दिन भारत के महान भौतिक शास्त्री सी वी रमन ने “रमन इफेक्ट” की खोज की थी। इस खोज के लिए उन्हें वर्ष 1930 में विज्ञान के क्षेत्र में सर्वोच्च पुरस्कार नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वह विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले भारतीय होने के साथ ही पहले एशियाई भी थे।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाने का उदेश्य (Purpose of Celebrating National Science Day)

National Science Day को मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को विज्ञान के प्रति जागरूक करना है। इस दिवस के द्वारा भारत के महान वैज्ञानिक सी वी रमन और उनके द्वारा किये गए खोज “रमन इफेक्ट” को याद किया जाता है। इस दिवस के द्वारा देश की युवा पीढ़ी को विज्ञान के बारे में जानकारी प्रदान किया जाता है, जिससे उन्हें इसके महत्व के बारे में पता चल सके। मानव कल्याण और देश के विकास के लिए विज्ञान के क्षेत्र में नए- नए शोध के लिए प्रेरित किया जाता है। छात्रों को करियर के रूप में विज्ञान विषय को चुनने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का विषय (Theme of National Science Day)

साल 2023 के लिए National Science Day का थीम है “वैश्विक कल्याण के लिए वैश्विक विज्ञान“।

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री, डॉ जितेंद्र सिंह ने मीडिया सेंटर, दिल्ली में इस थीम की घोषणा की थी। इस थीम को निर्धारित करने के बारे में उनका कहना था कि यह विषय अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की बढ़ती भूमिका को दर्शाता है। साथ ही उनका कहना था कि भारत को G20 की अध्यक्षता मिलना भी इस Theme से पूरी तरह से मेल करता है।

वर्ष 2022 में इस दिवस का थीम था “सतत भविष्य के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी में एकीकृत दृष्टिकोण“।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस क्यों मनाया जाता है ? (Why is National Science Day Celebrated?)

28 फरवरी को National Science Day के रूप में मनाया जाता है, क्यूँकि इसी दिन भारत के महान वैज्ञानिक सी वी रमन ने रमन इफेक्ट की खोज की थी। वह भारत के पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने विज्ञान के क्षेत्र में कई शोध कार्य किये थे। उन्होंने वर्ष 1907 से 1933 तक कोलकाता में इंडियन एसोसिएशन ऑफ द कल्टीवेशन ऑफ साइन्स (IACS) में कई तरह के शोध कार्य किये, जिसमे रमन इफेक्ट प्रमुख था। इसके लिए उन्हें वर्ष 1930 में नोबेल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। उनके इस खोज के लिए नेशनल काउंसिल फॉर साइन्स एंड टेक्नोलॉजी कम्युनिकेशन (NCSTC) ने 1986 में हर साल 28 फरवरी को National Science Day मनाने की घोषणा की।  

सी वी रमन कौन थे ? (Who was CV Raman?)

सी वी रमन भारत के महान भौतिक शास्त्री थे, जिन्होंने प्रकाश के प्रकीर्णन के लिए एक महत्वपूर्ण खोज की थी, जिसका नाम था, रमन इफेक्ट।  इस खोज के लिए उन्हें 1930 में भौतिकी के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्हें वर्ष 1954 में भारत रत्न  और 1957 में लेनिन शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 

रमन इफेक्ट क्या है ? (What is Raman Effect?)

जब प्रकाश की किरण किसी पारदर्शी पदार्थ से होकर गुजरती है, तो इस किरण का कुछ हिस्सा दूसरी दिशा में प्रकीर्ण हो जाती है। यह अणुओ के फोटॉन कणों के प्रकीर्णन की वजह से होता है। इसे सबसे पहले भारत के महान वैज्ञानिक सी वी रमन के द्वारा पता लगाया था, इसलिए इसे रमन इफेक्ट कहते है।

प्रकाश के तरंगदैर्ध्य में यह परिवर्तन  प्रकाश के किरणों के द्वारा फोटॉन के विक्षेपण के कारण होता है। समुन्द्र के जल और आसमान का रंग नीला इसी इफेक्ट के कारण होता है।  

सी वी रमन की उपलब्धि (Achievement of CV Raman)

  • वर्ष 1928 में उन्होंने प्रकाश के प्रकीर्णन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण खोज किया, जिसका नाम उनके नाम पर ही रखा गया “रमन इफेक्ट”।
  • वर्ष 1930 में पहली बार किसी भारतीय को विज्ञान के क्षेत्र में सर्वोच्च सम्मान, भौतिकी में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • वह विज्ञान में नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले भारतीय होने के साथ ही पहले एशियाई भी थे।  
  • वर्ष 1932 में उन्होंने सूरी भगवंतम के साथ मिलकर क्वांटम फोटॉन स्पिन की खोज की, जो आगे चलकर प्रकाश की क्वांटम प्रकृति को सावित करने में सहायक सिद्ध हुआ।
  • वर्ष 1943 में बेंगलुरु में उन्होंने रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट की स्थापना की।
  • वर्ष 1954 में उन्हें भारत का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
  • वर्ष 1957 में उन्हें सोवियत संघ के द्वारा दिया जाने वाला लेनिन शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

सी वी रमन का जीवन परिचय (Biography of CV Raman)

  • सी वी रमन का पूरा नाम चंद्रशेखर वेंकट रमन था और उनका जन्म 7 नवंबर 1988 को तिरुचिरापल्ली, तमिलनाडु में हुआ था।
  • उनके पिताजी तिरुवनाईकोविल के एक स्कूल में शिक्षक थे, बाद में वह विशाखापत्तनम के एक कॉलेज में भौतिकी और गणित के प्रोफेसर बन गए।
  • वह 11 वर्ष की आयु में ही मैट्रिक और 13 वर्ष के आयु में ही इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण कर लिए थे।
  • उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से वर्ष 1904 में बी.ए. और वर्ष 1907 में विज्ञान में मास्टर्स डिग्री हासिल किया।
  • 6 मई 1907 में उनकी शादी लोकसुन्दरी अम्मल के साथ हुआ था। उनके दो पुत्र थे चंद्रशेखर और राधाकृष्णन।
  • मास्टर्स डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने कोलकाता में महालेखाकार के रूप में एक सरकारी नौकरी शुरू की।
  • वर्ष 1917 में उन्हें कोलकाता विश्वविद्यालय में भौतिकी के प्रोफेसर के रूप में नियुक्त किया गया, तब उन्होंने महालेखाकार के पद से इस्तीफा दे दिया।
  • कोलकाता विश्वविद्यालय में अध्यापन के दौरान उन्होंने कोलकाता के इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टिवेशन ऑफ़ साइंस (IACS) में शोध कार्य भी शुरू किये।
  • बाद में वह इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टिवेशन ऑफ़ साइंस (IACS) के सचिव भी बने।

भारत के महान वैज्ञानिक (Great Scientist of India)

दुनिया आज जिस तरह से विकास के रास्ते पर चल रही है, यह महान वैज्ञानिकों के आविष्कारों के कारण ही संभव हो पाया है। इसमें भारतीय वैज्ञानिकों का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है। तो चलिए जानते है, ऐसे ही कुछ भारतीय वैज्ञानिकों के बारे में जिन्होंने देश में विज्ञान के क्षेत्र में बेहतरीन कार्य किये है।

ए० पी० जे० अब्दुल कलाम (A. P. J. Abdul Kalam)

ए० पी० जे० अब्दुल कलाम भारत के 11वें राष्ट्रपति थे और वह मिसाइल मैन के नाम से भी जाने जाते थे। उन्हें वर्ष 1981 में पद्म भूषण, 1990 में पद्म विभूषण और वर्ष 1997 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। उन्हें 1992 से 1999 तक भारत के रक्षा सलाहकार नियुक्त किया गया। इसी दौरान उन्होंने 1996 में पोखरण में दूसरी बार परमाणु परिक्षण भी किया।

जगदीश चंद्र बोस (Jagdish Chandra Bose)

जगदीश चंद्र बोस को रेडियो विज्ञान का जनक कहा जाता है। उन्हें वनस्पति विज्ञान के साथ ही भौतिकी का भी बहुत अच्छा ज्ञान था। उन्होंने रेडियो और सूक्ष्म तरंगों के साथ ही वनस्पति विज्ञान के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण शोध किये थे। अमेरिकी पेटेंट पाने वाले वह पहले वैज्ञानिक थे। उन्होंने पौधे में वृद्धि को मापने के लिए अर्धचन्द्राकार की खोज की थी। उनके सम्मान में चन्द्रमा पर एक गड्ढे का नाम भी उनके नाम पर ही रखा गया है।

सत्येंद्र नाथ बोस (Satyendra Nath Bose)

इनकी महानता का अंदाजा इसी बात से लगा सकते है कि भौतिकी में बोसान अणु का नाम इन्हीं के नाम पर रखा गया था। उस समय के महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन के साथ मिलकर उन्होंने आइंस्टीन स्टैटिस्टिक्स की खोज की थी।    

होमी जहाँगीर भाभा (Homi Jehangir Bhabha)

होमी जहाँगीर भाभा भारतीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के जनक थे। 1974 में देश का पहला परमाणु परीक्षण उनके नेतृत्व में ही हुआ था। देश को परमाणु सम्पन्न बनाने में उनका महत्वपूर्ण योगदान था। वह नाभिकीय विज्ञान पर उस समय कार्य करना शुरू कर दिए थे, जब इसके बारे में कुछ भी जानकारी उपलब्ध नहीं था और नाभिकीय ऊर्जा से विधुत उत्पादन के बारे में तो उस समय कोई सोच भी नहीं सकता था।

विक्रम साराभाई (Vikram Sarabhai)

विक्रम साराभाई को भारत के अंतरिक्ष विज्ञान का जनक कहा जाता है, क्यूँकि भारत में अंतरिक्ष कार्यक्रम की नींव उन्होंने ही रखी थी। उन्होंने भारत में 40 अंतरिक्ष शोध से जुड़े संस्थानों को शुरू किया था। इसके आलावा आणविक ऊर्जा और इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा।

उनके सम्मान में तिरुवनन्तपुरम में स्थापित थुम्बा इक्वेटोरियल रॉकेट लॉचिंग स्टेशन का नाम बदल कर विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केन्द्र कर दिया गया। यह इसरो का एक प्रमुख अंतरिक्ष अनुसंधान केन्द्र है। 

वेंकटरामन रामकृष्णन (Venkataraman Ramakrishnan)

वेंकटरामन रामकृष्णन को वर्ष 2009 में रसायन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया था। यह पुरस्कार उन्हें कोशिका के अंदर प्रोटीन के निर्माण करने वाले राइबोसोम की कार्यप्रणाली और संरचना के बारे में शोध के लिए दिया गया था।

हरगोविंद खुराना (Hargovind Khurana)

हरगोविंद खुराना को वर्ष 1968 में चिकित्सा के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार दिया गया था। यह पुरस्कार उन्हें डीएनए पर महत्वपूर्ण शोध के लिए दिया गया था। न्यूक्लिक अम्ल की विस्तृत जानकारी में उनके इस अनुसंधान ने महत्वपूर्ण रोल अदा किया। 

चंद्रशेखर वेंकटरमन (Chandrasekhara Venkata Raman)

चंद्रशेखर वेंकटरमन को वर्ष 1930 में भौतिकी के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्हें यह पुरस्कार उनके द्वारा किये गए खोज “रमन इफेक्ट” के लिए दिया गया था। वह विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले भारतीय होने के साथ ही पहले एशियाई भी थे। उन्हें 1954 में भारत रत्न और 1957 में लेनिन शान्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर (Subrahmanyam Chandrasekhar)

सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर को वर्ष 1983 में भौतिक शास्त्र के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। यह पुरस्कार उन्हें श्वेत बौने नाम के नक्षत्र की खोज के लिए दिया गया था। उनकी यह खोज दुनिया के उत्पति के रहस्यों को सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

उन्होंने खगोल भौतिक शास्त्र और सौरमंडल के बारे में अनेकों पुस्तके लिखी। वह भारत के महान वैज्ञानिक सी वी रमन के भतीजे थे। उनके प्रसिद्ध कार्यों में चंद्रशेखर सीमा एक महत्वपूर्ण खोज थी।

सलीम अली (Salim Ali)

सलीम अली एक पक्षी विज्ञानी थे और उन्हें भारत का बर्डमैन के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने पक्षी के बारे बहुत सारे सर्वेक्षण किये। उन्हें वर्ष 1958 में पद्म भूषण और वर्ष 1976 में पदम् विभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्होंने “भरतपुर पक्षी अभयारण्य” के गठन और “साइलेंट वैली नेशनल पार्क” को बर्बाद होने से बचाने में प्रमुख भूमिका निभाई।

हमारे जीवन में विज्ञान का महत्व (Importance of Science in Our Life)

हमारे जीवन में विज्ञान का महत्वपूर्ण योगदान है। इसके बिना जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती है। विज्ञान के विकास के साथ ही हर  क्षेत्र में उन्नति हुई है, जिससे लोगों के बहुत सारे कार्य आसान हो गए है।

कई चिकित्सा उपकरणों और दवाईयों के खोज की वजह से ही वर्तमान में खतरनाक बीमारियों का इलाज संभव हो पाया है। बहुत सारी बीमारियाँ जिसका पहले कोई इलाज नहीं था, लेकिन आज उसका भी इलाज संभव हो पाया है। अभी हाल में ही कोरोना जैसे महामारी की वजह से पुरे विश्व में हाहाकार मच गया था, लेकिन यह विज्ञान का ही परिणाम है कि हमारे वैज्ञानिकों ने बहुत जल्द ही इसके लिए वैक्सीन बना लिया और इस बीमारी से दुनिया को राहत मिली। 

अगर शिक्षा के क्षेत्र के बारे में बात किया जाये, तो आजकल लोग पढ़ने के लिए मोबाइल, लैपटॉप और इंटरनेट का इस्तेमाल करते है। इंटरनेट और कम्प्यूटर की सहायता से पल भर में आप किसी भी Question का Answer पता कर सकते है। आजकल सभी प्रतियोगी परीक्षा ऑनलाइन होने लगी हैं, किसी भी एग्जाम का रिजल्ट आप पल भर में देख सकते हो।

इस तरह से हम कह सकते है कि विज्ञान के बिना तीव्र विकास संभव नहीं है। इसने गलत धारणाओं और अंधविश्वासों को ख़त्म किया है और किसी भी देश के विकास के लिए विज्ञान के क्षेत्र में विकास होना आवश्यक है।

विश्व विज्ञान दिवस कब मनाया जाता है (When is World Science Day Celebrated)

विश्व विज्ञान दिवस 10 नवंबर को मनाया जाता है। इस दिवस की शुरुआत शांति और विकास के लिए वर्ष 1999 में बुडापेस्ट में आयोजित विश्व विज्ञान सम्मलेन में अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान परिषद और यूनेस्को के द्वारा किया गया था। इस दिवस को मनाने का मुख्य उदेश्य मानव कल्याण और देश की प्रगति में विज्ञान के योगदान के बारे में पुरे विश्व में जागरूकता पैदा करना है।  साल 2022 में विश्व विज्ञान दिवस का विषय था वैश्विक महामारी से निपटने के लिए विज्ञान और समाज के साथ”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *