दोस्तों आज के इस ब्लॉग में हम बात कर रहे हैं बॉलीवुड के सबसे मशहूर सितारे कादर खान(Kader Khan Biography in Hindi) के बारे में। 90 के दशक से लेकर अभी तक शायद ही कोई ऐसा होगा जो कादर खान को नहीं जानता होगा. कहा जाता है कि फिल्म में हीरो से ज्यादा कादर खान की डिमांड होती थी. उन्होंने अपनी दमदार एक्टिंग और दिलकश आवाज से हमेशा दर्शकों का मनोरंजन किया है. कादर खान आज भले ही हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी एक्टिंग और उनकी आवाज आज भी दर्शकों के दिलों में जिंदा है. क्या आप जानते हैं कि कादर खान पहले कॉलेज में प्रोफेसर थे, फिर उनका बॉलीवुड में आगमन कैसे हुआ? फिल्मों में हीरो के डायलॉग सुनकर आपने तालियां जरूर बजाई होंगी. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसे कादर खान ने ही लिखा था?
अपने जीवन के शुरुआती दिनों में उन्हें जीविकोपार्जन के लिए भीख भी मांगनी पड़ी थी। वह रात में कब्रिस्तान में पढ़ाई करते थे।
तो अगर आप भी कादर खान के जीवन के बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं तो ब्लॉग को अंत तक जरूर पढ़ें। इस ब्लॉग में हम कादर खान के बचपन, उनकी शिक्षा और फिल्मों में उनके योगदान के बारे में विस्तार से जानेंगे।
कादर खान का जीवन परिचय(Kader Khan Biography in Hindi)
कादर खान का जन्म 22 अक्टूबर 1937 को काबुल, अफगानिस्तान में हुआ था। उनके पिता का नाम अब्दुल रहमान और माता का नाम इकबाल बेगम है। उनके पिता एक लेखक थे, इसीलिए कादर खान को बचपन से ही कहानियाँ और संवाद लिखने में बहुत रुचि थी। कादर खान के तीन बड़े भाई थे लेकिन 8 साल के अंदर ही तीनों की मौत हो गई। इस बात से कादर खान की मां बहुत चिंतित हो गईं और वह कादर खान को लेकर मुंबई आ गई।
उनके पास मुंबई में रहने के लिए कोई जगह नहीं थी. इसलिए उन्होंने मुंबई की एक झुग्गी बस्ती में अपना घर बनाया, जहां वे हमेशा आर्थिक तंगी से जूझते रहे। कहा जाता है कि उन्हें भरपेट खाना नहीं मिलता था. कई बार तो उन्हें भूखा भी सोना पड़ता था. लेकिन इन तमाम परेशानियों के बावजूद उनकी मां ने कादर खान की पढ़ाई में रुकावट नहीं आने दी.
उनके माता-पिता के बीच रिश्ते ठीक नहीं चल रहे थे। इस वजह से कुछ दिनों बाद उनका तलाक हो गया। उस वक्त कादर खान बच्चे थे. पति से तलाक के बाद कादर खान की मां ने दूसरी शादी कर ली. कादर खान के सौतेले पिता को कादर खान पसंद नहीं थे. वह अक्सर कादर खान के साथ मारपीट और गाली-गलौज करते थे। पति से तलाक के बाद मां ने बड़ी मुश्किलों से कादर खान को पाला। अपनी मां की मदद करने और जीवित रहने के लिए कादर खान मस्जिद के बाहर भीख मांगते थे और उस पैसे से वह अपना और अपनी मां का पेट भरते थे।
कादर खान के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी(Important information about Kader Khan)
पूरा नाम(Full Name) | कादर खान(Kader Khan) |
जन्मतिथि(Date of Birth) | 22 अक्टूबर, 1937(October 22, 1937) |
जन्म स्थान(Place of Birth) | काबुल, अफगानिस्तान(Kabul, Afghanistan) |
मृत्यु तिथि(Date of Passing) | 31 दिसंबर 2018 (December 31, 2018) |
मृत्यु की जगह(Place of Passing) | मिसिसॉगा, ओंटारियो, कनाडा(Mississauga, Ontario, Canada) |
राष्ट्रीयता(Nationality) | भारतीय(Indian) |
व्यवसाय(Occupation) | Actor, comedian, scriptwriter, director |
सक्रिय वर्ष(Active Years in Bollywood) | 1973–2015 (in Bollywood) |
उल्लेखनीय कार्य(Notable Works) | एक अभिनेता के रूप में: “शोले,” “कुली,” “अमर अकबर एंथोनी,” “मुकद्दर का सिकंदर” – As an Actor: “Sholay,” “Coolie,” “Amar Akbar Anthony,” “Muqaddar Ka Sikandar” |
एक लेखक के रूप में: कई सफल बॉलीवुड फिल्मों में योगदान दिया- As a Writer: Contributed to numerous successful Bollywood films | |
एक निर्देशक के रूप में: “शमा,” “बाप नंबरी बेटा दस नंबरी”- As a Director: “Shama,” “Baap Numbri Beta Dus Numbri” | |
पुरस्कार(Awards) | सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता के लिए फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार (1992) – Filmfare Award for Best Comedian (1992) |
लाइफटाइम अचीवमेंट के लिए स्क्रीन अवार्ड (2008) – Screen Award for Lifetime Achievement (2008) | |
आईफा लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड (2013) – IIFA Lifetime Achievement Award (2013) | |
अन्य योगदान(Other Contributions) | फिल्म उद्योग में प्रवेश करने से पहले मुंबई में सिविल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर के रूप में भी काम किया – Also worked as a professor of Civil Engineering in Mumbai before entering the film industry |
1990 के दशक में डेविड धवन और गोविंदा के सहयोग की सफलता में महत्वपूर्ण योगदान दिया – Contributed significantly to the success of David Dhawan and Govinda collaborations in the 1990s |
कादर खान ने अपनी पढ़ाई कहां से और कैसे की(Where and how did Kader Khan do his studies)
एक्टर कादर खान ने अपनी ग्रेजुएशन इस्माइल यूसुफ कॉलेज से पूरी की। वह एक सिविल इंजीनियर थे. वह पढ़ाई में बहुत होशियार थे. कादर खान की गिनती गणित और उर्दू के अच्छे जानकारों में होती थी।
वे दिन में पढ़ाई करते थे और रात में कब्रिस्तान जाकर अभ्यास करते थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, बाद में वह सैबू सिद्दीक कॉलेज में सिविल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर बन गए। एक बार कादर खान अपने घर के पास कब्रिस्तान में पढ़ाई कर रहे थे तभी टॉर्च की रोशनी उनके चेहरे पर पड़ी। टॉर्च दिखाने वाले शख्स ने कादर खान से पूछा, आप यहां क्या कर रहे हैं? तब इसके जवाब में कादर खान ने कहा था कि वह अभ्यास कर रहे हैं और दिन में जो भी पढ़ते हैं, रात में यहीं आकर अभ्यास करते हैं.
कादर खान को मशाल दिखाने वाला शख्स कोई और नहीं बल्कि अशरफ खान थे, वह कादर खान के इस सीधे जवाब से काफी प्रभावित हुए और बोले- तुम नाटक में काम क्यों नहीं करते. इसके साथ ही उन्होंने कादर खान से नाटक में काम करने के बारे में भी पूछा. कादर खान भी काम करने के लिए तैयार हो गये. यहीं से कादर खान का फिल्मी करियर शुरू हुआ.
कादर खान ने बॉलीवुड में काम करना कैसे चुना(How Kader Khan chose to work in Bollywood)?
दिलीप कुमार ने कादर खान को फिल्मों में पहला मौका दिया।
कहा जाता है कि एक बार जब कादर खान कॉलेज में बच्चों को पढ़ा रहे थे तो उनके पास दिलीप कुमार का फोन आया। दिलीप कुमार ने कहा कि वह कादर खान का नाटक देखना चाहते हैं. कादर खान सहमत हुए. नाटक देखकर दिलीप कुमार बहुत खुश हुए. इसके बाद उन्होंने कादर खान को फिल्मों में काम करने का मौका दिया।
कादर खान की सबसे ज्यादा फिल्में अमिताभ बच्चन और गोविंदा के साथ हैं।
अशरफ खान से मुलाकात के बाद कादर खान के लिए एक्टिंग की राह खुल गई. उन्होंने सबसे पहले नरेंद्र बेदी की फिल्म जवानी दीवानी में काम किया था। इस फिल्म में कादर खान ने ना सिर्फ एक्टिंग की बल्कि कई डायलॉग भी लिखे. इसमें अभिनय के लिए कादर खान को 1500 रुपये दिये गये थे. जब कादर खान ने उस वक्त अपने हाथ में 1500 रुपए देखे तो वह हैरान रह गए क्योंकि उन्होंने एक साथ इतने पैसे पहले कभी नहीं देखे थे।
कादर खान ने किस फिल्म से बॉलीवुड में डेब्यू किया था(With which film did Kader Khan debut in Bollywood)?
कादर खान ने बॉलीवुड में अपने अभिनय करियर की शुरुआत 1973 में की थी। बॉलीवुड में उनकी पहली फिल्म दाग थी।
साल 1977 में कादर खान ने फिल्म मुकद्दर का सिकंदर लिखी. इस फिल्म में एक सीन फिल्माया गया था, जिसमें एक बच्चा कब्रिस्तान में जाकर रोता है और वहां उसकी मुलाकात एक फकीर से होती है. इस फिल्म का ये सीन कादर खान की असल जिंदगी से लिया गया था.
1981 में कादर खान की एक और फिल्म ‘नसीब’ रिलीज हुई जिसमें अमिताभ बच्चन, हेमा मालिनी, ऋषि कपूर और शत्रुघ्न सिन्हा मुख्य कलाकार थे।
साल 1982 में कादर खान ने फिल्म सत्ते पे सत्ता में काम किया। इस फिल्म में उनके साथ अमिताभ बच्चन, शक्ति कपूर और हेमा मालिनी भी थे। यह उस समय की हिट फिल्म साबित हुई थी. इसके बाद कादर खान ने साल 1983 में 4 फिल्में कीं।
जिनके नाम क्रमश: मव्वाली, जस्टिस चौधरी, जानी दोस्त और हिम्मतवाला थे, इनमें से 3 फिल्में जितेंद्र और श्रीदेवी की थीं, जबकि एक फिल्म जानी दोस्त में धर्मेंद्र और परवीन बाबी थे।
1984 में बॉलीवुड में कादर खान की फिल्मों की संख्या और बढ़ गई। इस साल उन्होंने कदम, अंदर-बाहर, कैदी, अकलामंद, मकसद, तोहफा और इंकलाब जैसी फिल्मों में काम किया। वही 1985 में कादर खान ने मास्टरजी, सरफरोश, बलिदान, मेरा जवाब और पत्थर दिल जैसी मूवी में काम किया।
इसके बाद बॉलीवुड में कादर खान की लगातार फिल्में आने लगीं। उस समय हर निर्देशक सोचता था कि कादर खान को उसकी फिल्मों का हिस्सा होना चाहिए।
90 के दशक में रिलीज हुई ज्यादातर फिल्मों में कादर खान जरूर होते थे. कादर खान ने अब तक 450 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है और 250 से ज्यादा फिल्मों के लिए डायलॉग लिखे हैं.
कादर खान और अमिताभ बच्चन के बीच दुश्मनी की क्या थी वजह(What was the reason for enmity between Kader Khan and Amitabh Bachchan)
एक समय था जब अमिताभ बच्चन और कादर खान अच्छे दोस्त थे। दोनों ने कई फिल्मों में साथ काम किया है. लेकिन एक वक्त ऐसा आया जब इनकी दोस्ती दुश्मनी में बदल गई. तो आइए जानते हैं कि ऐसा क्या हुआ कि कादर खान ने अमिताभ के साथ काम करना बंद कर दिया।
एक बार एक डायरेक्टर ने कादर खान को सर जी से मिलने के लिए कहा. उनका रुख अमिताभ बच्चन की तरफ था. कादर खान ने कहा, सर, ये अमित हैं. डायरेक्टर ने कहा, हम उन्हें सर जी कहते हैं और आपको भी यही कहना होगा.
लेकिन कादर खान ने ऐसा करने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा, क्या कोई अपने भाई या दोस्त को किसी और नाम से बुला सकता है? नहीं! यह नामुमकिन है .फिर डायरेक्टर ने उन्हें उस ग्रुप से बाहर कर दिया. इसके बाद कादर खान ने अमिताभ बच्चनब के साथ किसी भी फिल्म में काम नहीं किया।
इसके बाद कादर खान को फिल्म खुदा गवाह में नहीं लिया गया।
उस समय कादर खान फिल्म ‘गंगा जमुना सरस्वती’ की स्क्रिप्ट लिख रहे थे लेकिन उन्होंने इसे पूरा नहीं किया। कई अन्य फिल्में जिन पर वह काम कर रहे थे उन्हें बीच में ही छोड़ना पड़ा। इस तरह अमिताभ बच्चन और कादर खान के बीच दूरियां काफी बढ़ गईं। लेकिन वो कादर खान ही थे जिन्होंने अमिताभ बच्चन को एंग्री यंग बनाया। उन्होंने शहंशाह और अग्नि पथ जैसी कई फिल्मों के डायलॉग लिखे थे.
कहा जाता है कि अमिताभ बच्चन की सफलता के पीछे कादर खान का योगदान था.
कादर खान से जुड़ा विवाद(Controversy related to Kader Khan)
कादर खान ने एक बार फिल्मफेयर अवॉर्ड को लेकर विवादित बयान दिया था. कादर खान का मानना था कि फिल्मफेयर अवॉर्ड अभिनेता के चेहरे के आधार पर दिया जाता है न कि उसके अभिनय के आधार पर. उन्होंने कहा कि सरकार की चापलूसी करने वालों को ही पुरस्कार दिया जा रहा है. दरअसल उन्होंने अनुपम खेर पर निशाना साधा था.
अनुपम खेर को अवॉर्ड देने के बाद कादर खान ने कहा कि उनमें ऐसा क्या है जो मुझमें नहीं है. मैंने बस किसी की चापलूसी नहीं की। बस इसी बात को लेकर कादर खान विवादों में घिर गए.
कादर खान के आखिरी दिन दुखों से भरे थे। उनके घुटनों में दर्द था. जिसके चलते उन्हें सर्जरी करानी पड़ी. लेकिन गलत सर्जरी के कारण उनकी तकलीफ और बढ़ गई. इसके बाद उनका बड़ा बेटा उन्हें इलाज के लिए कनाडा ले गया।
उन्हें चलने फिरने में भी दिक्कत होने लगी. बाद में वह व्हील चेयर पर ही रहने लगे। जानकारी के मुताबिक उन्हें याददाश्त की भी समस्या हो गयी थी जिसके कारण उन्हें कुछ भी याद नहीं रहता था. कादर खान ने 31 दिसंबर 2018 को कनाडा में अंतिम सांस ली। उनका अंतिम संस्कार भी वहीं किया गया।
कादर खान की कुछ उल्लेखनीय फिल्मों की सूची(List of some notable films of Kader Khan)
- दाग-Daag (1973)
- सगीना-Sagina (1974)
- रोटी-Roti (1974)
- छोटी बहू-Chhoti Bahu (1974)
- मुकद्दर का सिकंदर-Muqaddar Ka Sikandar (1978)
- मिस्टर नटवरलाल-Mr. Natwarlal (1979)
- कुर्बानी-Qurbani (1980)
- दोस्ताना-Dostana (1980)
- नसीब-Naseeb (1981)
- कुली-Coolie (1983)
- सत्ते पे सत्ता-Satte Pe Satta (1982)
- रंजीता-Ranjeeta (1984)
- शराबी-Sharaabi (1984)
- मवाली-Mawaali (1983)
- तोहफा-Tohfa (1984)
- धरम वीर-Dharam Veer (1977)
- ख़ुद-दार-Khud-Daar (1982)
- नौकर बीवी का-Naukar Biwi Ka (1983)
- बाप नंबरी बेटा दस नंबरी-Baap Numbri Beta Dus Numbri (1990)
- हम-Hum (1991)
- बोल राधा बोल-Bol Radha Bol (1992)
- आँखें-Aankhen (1993)
- मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी-Main Khiladi Tu Anari (1994)
- कुली नंबर 1-Coolie No. 1 (1995)
- साजन चले ससुराल-Saajan Chale Sasural (1996)
- हीरो नंबर 1-Hero No. 1 (1997)
- दूल्हे राजा-Dulhe Raja (1998)
- बड़े मियां छोटे मियां-Bade Miyan Chote Miyan (1998)
- हसीना मान जाएगी-Haseena Maan Jaayegi (1999)
- जोरू का गुलाम-Joru Ka Ghulam (2000)
FAQ
- Q1: कादर खान की पत्नी का नाम क्या है ?
उनकी पत्नी का नाम अज़रा खान है।
Q2: कादर खान के पिता का नाम क्या है?
अब्दुल रहमान खान - Q3: कादर खान की माँ का नाम क्या है
- मीहनत बेगम
Q4: कादर खान के कितने भाई थे?
उनके तीन भाई थे। लेकिन 8 साल के अंदर उनकी मृत्यु हो गयी थी।
Q5: कादर खान की पहली फिल्म कौन सी है?
उनकी पहली फिल्म दाग है जिसमे उन्होंने एक वकील की भूमिका निभाई थी।
Q6: कादर खान की कब्र कहां पर है?
उनका अंतिम संस्कार कनाडा में किया गया था।
Q7: कादर खान के बेटे का नाम क्या है?
उनके तीन बेटे है जिनका नाम सरफ़राज़ खान,शाहनवाज़ खान,क्यूडस खान है।
Q8: क्या कादर ख़ान धूम्रपान करते थे ?
ज्ञात नहीं
Q9: क्या कादर ख़ान शराब पीते थे ?
ज्ञात नहीं - Q10: कादर खान कितने फिल्मो में काम कर चुके थे
उन्होंने 300 से अधिक फिल्मों में काम किया था
निष्कर्ष(conclusion)
कादर खान ने अपने जीवन में गरीबी देखी थी. इसीलिए वह पैसे के महत्व को जानते थे और कभी भी अपनी सफलता पर घमंड नहीं करते थे। उनके लिखे संवादों के कारण अच्छे-अच्छे अभिनेता लोकप्रिय हो गये। बॉलीवुड में उनकी एक्टिंग की जगह कोई नहीं ले सकता.
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