Devanand biography in hindi

बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता जो अपने शानदार लुक्स और बेहतरीन डायलॉग डिलीवरी के लिए जाने जाते थे। जिनका अंदाज सबसे अलग और हट के था और  उन्हें अपने ज़माने का सबसे हैंडसम हीरो भी कहा जाता था। इसके साथ ही उनका व्हाइट शर्ट के साथ काला कोट पहनने का अंदाज भी काफी पॉपुलर रहा। उन्हें इस लुक में देखकर लकड़ियां इस कदर पागल हो जाती थी कि कोर्ट ने भी उन्हें काले कोट पहनने पर बैन लगा दिया था। भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के लिए उन्हें साल 2001 में पद्म भूषण और साल 2003 में दादासाहेब फाल्के पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।

आज वो भले ही हमारे बीच नहीं है, लेकिन उनकी फिल्में और अभिनय आज भी  लोगों के दिलों में जिंदा है। तो कौन है ये दिग्गज अभिनेता जिससे  शादी न होने के कारण मशहूर अभिनेत्री ‘सुरैया’ ने पूरी जिंदगी शादी नहीं की?

बॉलीवुड के सुपरस्टार धर्मेंद्र भी देवानंद के जबरा फैन में से एक है। कभी वे घंटों लाइन में लगकर इनकी फिल्में देखा करते थे।

आज के इस ब्लॉग में हम बात कर रहे है बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता ‘देव आनंद'(Devanand biography in hindi) के बारे में। जानेंगे उनके पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ से जुड़े कुछ रोचक किस्से!

Devanand Biography Video in Hindi

देव आनंद का जन्म और पारिवारिक इतिहास(Dev Anand’s birth and family history)

देव आनंद का जन्म 26 सितंबर 1923 को गुरुदासपुर, पंजाब में हुआ था, जो वर्तमान में पाकिस्तान के नारोवाल जिला के अंतर्गत आता है।

उनके पिता ‘पिशोरी लाल आनंद’ एक  जाने-माने वकील थे। देव आनंद  चार भाई थे, जिसमें उनके सबसे बड़े भाई ‘मनमोहन आनंद’ एक वकील थे, जबकि उनके भाई ‘चेतन आनंद’ और ‘विजय आनंद’ हिंदी फिल्म जगत के मशहूर फिल्म निर्देशक थे। उनकी बहन ‘शील कांता कपूर’ जाने माने फिल्म निर्देशक ‘शेखर कपूर’ की माँ है। 

देव आनंद की स्कूली शिक्षा सेक्रेड हार्ट स्कूल, डलहौज़ी से हुई थे। इसके बाद साल 1942 में उन्होंने राजकीय महाविद्यालय, लाहौर से अंग्रेजी साहित्य में स्नातक की पढ़ाई की।

वो आगे भी पढ़ना चाहते थे, लेकिन उनके पिता ने पहले ही कह दिया था कि उनके पास उन्हें पढ़ाने के लिए पैसे नहीं हैं। अगर वो आगे पढ़ना चाहते हैं तो नौकरी कर लें।

देव आनंद ने अपने करियर की शुरुआत कैसे की(How did Dev Anand start his career)?

देव आनंद बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता ‘अशोक कुमार’ से काफी ज्यादा प्रभावित थे और उनकी फिल्में देखने के बाद ही उन्होंने भी फिल्मों में काम करने का निर्णय लिया था। साल 1943 में वह अपने सपनों को सकार करने के लिए मुम्बई आ गए। उस समय उनके पास केवल 30 रुपये थे। उनके पास मुंबई जैसे महंगे शहर में रात बिताने के लिए भी पैसे नहीं थे। उन्होंने रेलवे स्टेशन के पास एक सस्ते होटल में एक कमरा किराए पर ले लिया, जिसमें  पहले से हीं तीन लोग रहते  थे, जो उनकी तरह ही फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने के लिए संघर्ष कर रहे थे। 

हीरो बनने से पहले देव आनंद एक ब्रिटिश सरकारी दफ्तर में काम करते थे (Before becoming a hero, Dev Anand worked in a British government office)

संघर्ष के दिनों में उन्होंने ‘मिलट्री सेंसर ऑफिस’ में लिपिक की नौकरी की। इसके बाद उन्होंने एक ‘अकॉउंटिंग फर्म’ में बतौर क्लर्क भी काम किया। साल 1946 में उन्हें एक फिल्म ‘हम एक हैं’ में काम करने का मौका मिला, हालांकि यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास कमाल नहीं कर पाई। इसके बाद उन्हें ‘मोहन’, ‘आगे बढ़ो, और ”विद्या’ जैसी कई फिल्मों में काम किया। लेंकिन बॉलीवुड में उन्हें असली पहचान साल 1948 में फिल्म ‘जिद्दी’ से मिली।

इस फिल्म में उनके साथ ‘कामिनी कौशल’ मुख्य भूमिका में नजर आई थी और यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट फिल्म साबित हुई थी। इस फिल्म की सफलता ने ‘देव आनंद’ को रातों रात स्टार बना दिया। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा और बॉलीवुड को एक से बढ़कर फिल्में दी। साल 1949 में उन्होंने अपने बड़े भाई ‘चेतन आनंद’ के साथ मिलकर खुद की एक  फिल्म कंपनी  ‘नवकेतन फिल्म्स’ की शुरुआत की।

साल 1951 में उन्होंने कल्पना कार्तिक के साथ फिल्म ‘बाजी’ में काम किया, जो बॉक्स ऑफिस पर सफल रही।  इसके बाद उन्होंने कल्पना कार्तिक के साथ ‘आंधियां’ और ‘टैक्सी ड्राईवर’ जैसी कई सफल फिल्मों में काम किया।

साल 1985 में देव आनंद की फिल्म ‘हम नौजवान’ में बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री तब्बू‘ बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट नजर आई थी।

सन 1959 में उन्हें फिल्म ‘काला पानी’ के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के तौर पर फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

साल 1967 में फिल्म ‘गाइड’ के लिए उन्हें दूसरी बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के तौर पर फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

इसके बाद साल 1992 में ‘फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड’, साल 2003 में ‘दादा साहेब फाल्के अवार्ड’ और साल 2001 में देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘पद्म भूषण अवार्ड’ से सम्मानित किया गया।

देव आनंद के ब्लैक कोट पहनने पर कोर्ट ने क्यों लगा दिया था बैन (Why did the court ban Dev Anand from wearing black coat?) ?

बॉलीवुड के सदाबहार अभिनेता ‘देव आनंद अपने जमाने के फैशन आइकॉन माने जाते थे। वह इतने हैंडसम थे कि लड़कियां उन पर अपना जान लुटाती थी। साल 1958 में फिल्म ‘काला पानी’ में व्हाइट शर्ट के साथ काला कोट पहनने का उनका स्टाइल काफी पॉपुलर हुआ था और लोग उनके स्टाइल को खूब कॉपी करते थे। उनका यह स्टाइल इतना पॉपुलर हुआ कि कोर्ट ने उन्हें पब्लिक प्लेस में काला कोर्ट पहनने पर पाबंदी लगा दी थी।

कहा जाता है कि जब ‘देव आनंद’ व्हाइट शर्ट के साथ काला कोट पहनकर निकलते थे तो लोगों की निगाहें उनसे हटती ही नहीं थी। खासकर लड़कियां उन्हें देखते ही इस कदर दीवानी हो जाती थी कि वह कुछ भी कर गुजरने के लिए तैयार रहती थी। इतना ही नहीं, काले कोट में ‘देव आनंद’ को देखने के लिए लड़कियां छत से छलांग लगा देती थीं। किसी अभिनेता के लिए ऐसी दीवानगी शायद ही कभी देखने को मिली हो।

लड़कियों की दिवानगी को देखते हुए कोर्ट को इस मामले में दखल देना पड़ा और उन्होंने ‘देव आनंद’ को पब्लिक प्लेस में काला कोट पहनने पर बैन लगा दिया। सिनेमा के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि किसी एक्टर के पहनावे पर कोर्ट को एक्शन लेना पड़ा था।

देवानंद और सुरैया की लव स्टोरी (Devanand and Suraiya’s love story)

देव आनंद और सुरैया की प्रेम कहानी बॉलीवुड के अमर प्रेम कहानियों में से एक है। सुरैया अपने जमाने की एक मशहूर अभिनेत्री होने के साथ ही एक मशहूर गायिका भी थी। वह देव आनंद से इस कदर प्यार करती थीं कि जब उनकी शादी देव आनंद से नहीं हुई तो उन्होंने ताउम्र शादी नहीं करने का फैसला किया। तो चलिए जानते है कि देव आनंद और सुरैया की मुलाकात कैसे हुई और किस तरह उनकी नजदीकियां बढ़ी और आखिर दोनों की लव स्टोरी क्यों अधूरी रह गई ?

देव आनंद और सुरैया की पहली मुलाकात साल 1948 में फिल्म ‘विद्या’ के सेट पर हुई थी और इसी फिल्म के शूटिंग के दौरान दोनों एक दूसरे को दिल दे बैठे थे। यह वो समय था जब देव आनंद का करियर शुरू हो रहा था, जबकि ‘सुरैया’ अपने करियर के पीक पर थी। इस फिल्म के गाने ‘किनारे किनारे चले जाएंगे’ की शूटिंग के दौरान दोनों नाव पर सवार थे और नाव डूब जाती है। देव आनंद एक फिल्मी हीरो की तरह सुरैया को डूबने से बचाते है। इसी घटना के बाद सुरैया ने देव आनंद से शादी करने का फैसला कर लिया था। देव आनंद ने भी उन्हें फिल्म के सेट पर तीन हज़ार की अगूंठी देकर प्रोपेज किया था। 

कैसे अधूरी रह गई देवानंद और सुरैया की प्रेम कहानी(How the love story of Devanand and Suraiya remained incomplete)  

देव आनंद और सुरैया के अफेयर के चर्चे जब फिल्म इंडस्ट्री में होने लगी तो यह बात सुरैया के परिवार तक पहुंची। सुरैया की नानी को उनका रिश्ता पसंद नहीं था क्योंकि दोनों अलग अलग धर्म से थे। सुरैया के घर में उनकी नानी की चलती थी। जब उन्हें दोनों की अफेयर की भनक लगी तो उन्होंने देव आनंद को घर आने पर रोक लगा दी। इतना ही नहीं उन्होंने सुरैया पर भी पाबंदी लगानी शुरू कर दी। हालांकि सुरैया की माँ को ‘देव आनंद’ बहुत पसंद थे।

बाद में देव आनंद ने ‘कल्पना कार्तिक’ से शादी कर ली, लेकिन सुरैया ने कभी शादी नहीं की वह हमेशा देव आनंद की यादों में ही खोई रहती थी। साल 2004 में जब सुरैया इस दुनिया को छोड़कर चली गई तो हर किसी को उम्मीद थी की ‘देव आनंद’ आखिरी बार उन्हें देखने जरूर आएंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ , इस तरह उनकी लव स्टोरी का ‘द एंड’ हो गया। 

देव आनंद और कल्पना कार्तिक की लव स्टोरी(Love story of Dev Anand and Kalpana Karthik)

अपने जमाने के मशहूर कलाकार ‘देव आनंद’ पर लड़कियाँ इस कदर फिदा रहती थी कि कोर्ट को उन्हें काले कोट पहनने पर बैन लगाना पड़ा था। लेकिन देव आनंद का दिल बॉलीवुड अभिनेत्री ‘कल्पना कार्तिक’ के लिए धड़कता था। देव आनंद और कल्पना कार्तिक की शादी का किस्सा भी काफी चर्चित रहा था । दोनों ने लंच ब्रेक में ही शादी रचा ली थी। 

फिल्म अभिनेत्री ‘सुरैया’ से रिश्ता टूटने के बाद देव आनंद की जिदंगी में ‘कल्पना कार्तिक’ की एंट्री हुई थी। कई फिल्मों में साथ काम करने के दौरान देव आनंद का दिल कल्पना कार्तिक के लिए धड़कने लगा था। कल्पना कार्तिक की गिनती उस समय बॉलीवुड की टॉप अभिनेत्रियों में की जाती थी।

देव आनंद और कल्पना कार्तिक की पहली मुलाकात साल 1951 में फिल्म ‘बाजी’ के सेट पर हुई थी। चेतन आनंद द्वारा निर्मित यह फिल्म कल्पना कार्तिक की पहली फिल्म थी। अपने फ़िल्मी करियर के दौरान कल्पना ने केवल 5 फिल्मों में ही काम किया  और हैरानी की बात यह रही कि इन पांचों फिल्म में देव आनंद ही उनके हीरो रहे, जो रियल लाइफ में भी उनके हीरो थे। 

 फिल्म ‘बाजी’ के बाद साल 1952 में फिल्म ‘आंधियां’ और साल 1954 में फिल्म ‘हाउस नंबर 44’ में भी दोनों ने साथ काम किया। साल 1954 में फिल्म ‘टैक्सी ड्राइवर’ के सेट पर दोनों को एक दूसरे से प्यार हुआ और फिर एक दिन दोनों ने लंच ब्रेक में ही शादी कर ली। शादी के बाद साल 1957 में कल्पना कार्तिक एक बार फिर देव आनंद के साथ फिल्म ‘नौ दो ग्यारह’ में नजर आई थी।

FAQ

Q1 देवानंद को काला कोर्ट पहनने पर प्रतिबंध क्यों लगाया गया था?

देव आनंद जब भी काला कोर्ट पहनकर निकलते थे तो उन्हें देखने के लिए लड़कियों की कतार लग जाती थी। उन्हें देखने के लिए लड़कियां छत से भी कूद जाती थीं। इसलिए उन पर ये बैन लगाया गया.

Q2 देवानंद के कितने भाई थे?

देवानंद के 9 भाई-बहन थे।

Q3 देवानंद के बेटे का नाम क्या है?

सुनील आनंद

Q4 देवानंद की बेटी का क्या नाम है?

देविना आनंद

Q5 देवानंद की पत्नी का नाम क्या है?

कल्पना कार्तिक

Q6 देवानंद की पहली बॉलीवुड फिल्म कौन सी है?

हम एक है

Q7 देवानंद की आखिरी बॉलीवुड फिल्म कौन सी है

चार्जशीट

Q8 देव आनंद का असली नाम क्या है?

धर्मदेव पिशोरिमल आनंद

Q9 देव आनंद का जन्म कहाँ हुआ?

शकरगढ़ तहसील जो वर्तमान में पाकिस्तान में है

Q10 देवानंद के पिता का नाम क्या है?

किशोरीमल आनंद जो पेशे वकील थे

निष्कर्ष(Conclusion)

हमें उम्मीद है कि देवानंद साहब के बारे में दी गई जानकारी आपको पसंद आयी होगी।

देव आनंद को सिर्फ एक बॉलीवुड अभिनेता के रूप में परिभाषित नहीं किया जा सकता, वो उससे कहीं अधिक थे; उनका जीवन और कार्य फिल्म निर्माताओं और अभिनेताओं को हमेशा प्रेरित करता रहेगा।

अगर आप भी हमें देवानंद साहब से जुड़ी कोई अपडेट देना चाहते हैं तो कृपया कमेंट सेक्शन में लिखकर हमें बताएं।

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